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औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय जनसंख्या का भविष्य क्या था?
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औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय जनसंख्या का भविष्य कई कारकों से प्रभावित था, जिनमें शामिल हैं:
- जनसंख्या वृद्धि: औपनिवेशिक काल में भारत की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई। 19वीं शताब्दी के अंत में जनसंख्या वृद्धि दर में तेजी आई।
- मृत्यु दर: मृत्यु दर उच्च बनी रही, विशेष रूप से बच्चों में। अकाल, महामारी और खराब स्वास्थ्य सेवा के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हुई।
- जन्म दर: जन्म दर भी उच्च बनी रही, जो जनसंख्या वृद्धि में योगदान करती रही।
- प्रवास: औपनिवेशिक काल में भारत से अन्य देशों में प्रवास हुआ, विशेष रूप से गिरमिटिया मजदूरों के रूप में।
- आर्थिक प्रभाव: औपनिवेशिक नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया, जिससे गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी। इसका जनसंख्या के स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
कुल मिलाकर, औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय जनसंख्या का भविष्य अनिश्चित था। जनसंख्या वृद्धि जारी रही, लेकिन उच्च मृत्यु दर और आर्थिक कठिनाइयों के कारण जीवन स्तर में सुधार नहीं हुआ।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित स्रोतों को देख सकते हैं: