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दुर्योधन ने पांडवों को अधिकार देने से मना क्यों कर दिया?
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दुर्योधन ने पांडवों को अधिकार देने से मना क्यों कर दिया?
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दुर्योधन ने पांडवों को उनका अधिकार देने से मना कर दिया क्योंकि:
- वंशानुगत अधिकार का अभाव: दुर्योधन का मानना था कि पांडव उनके पिता पांडु के पुत्र थे, जो सिंहासन के उत्तराधिकारी नहीं बन सकते थे क्योंकि वे जन्म से ही अस्वस्थ थे। दुर्योधन खुद धृतराष्ट्र का पुत्र था, जो सिंहासन का वर्तमान अधिकारी था। इसलिए, दुर्योधन का मानना था कि पांडवों का राज्य पर कोई वंशानुगत अधिकार नहीं था।
- राजनीतिक महत्वाकांक्षा: दुर्योधन एक महत्वाकांक्षी राजकुमार था और वह स्वयं हस्तिनापुर का राजा बनना चाहता था। यदि पांडवों को उनका अधिकार दे दिया जाता, तो दुर्योधन के राजा बनने की संभावना कम हो जाती।
- पांडवों के प्रति ईर्ष्या: दुर्योधन पांडवों से ईर्ष्या करता था क्योंकि वे अधिक लोकप्रिय और शक्तिशाली थे। दुर्योधन को डर था कि पांडव उससे सिंहासन छीन लेंगे।
- शकुनि का प्रभाव: दुर्योधन के मामा शकुनि ने उसे पांडवों को उनका अधिकार न देने के लिए उकसाया। शकुनि एक धूर्त और चालाक व्यक्ति था और वह पांडवों को नष्ट करना चाहता था।