कालनिर्णय
भक्ति काल की विशेषता पर प्रकाश डालिए?
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भक्ति काल की विशेषता पर प्रकाश डालिए?
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भक्ति काल की विशेषताएँ:
- ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण: भक्ति काल में ईश्वर के प्रति गहरा प्रेम और पूर्ण समर्पण का भाव प्रमुख था। भक्त अपने आराध्य देव के प्रति अनन्य भक्ति रखते थे।
- निर्गुण और सगुण भक्ति: इस काल में भक्ति दो धाराओं में विभाजित थी - निर्गुण भक्ति और सगुण भक्ति। निर्गुण भक्त निराकार ईश्वर की उपासना करते थे, जबकि सगुण भक्त साकार रूप में ईश्वर की पूजा करते थे।
- जाति-पाति का विरोध: भक्ति काल के संतों ने जाति-पाति और सामाजिक भेदभाव का विरोध किया। उन्होंने सभी मनुष्यों को समान माना और भक्ति के मार्ग को सभी के लिए सुलभ बताया।
- लोकभाषा का प्रयोग: इस काल के कवियों और संतों ने अपनी रचनाओं के लिए लोकभाषाओं का प्रयोग किया, जिससे उनकी बातें आम लोगों तक आसानी से पहुँच सकीं।
- गुरु का महत्व: भक्ति काल में गुरु को विशेष महत्व दिया गया। गुरु को ईश्वर तक पहुँचने का मार्गदर्शक माना गया।
- अहिंसा और नैतिकता पर बल: भक्ति काल के संतों ने अहिंसा, सत्य, प्रेम और नैतिकता के मूल्यों पर बल दिया। उन्होंने सादा जीवन जीने और दूसरों की सेवा करने का संदेश दिया।
भक्ति काल भारतीय साहित्य और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण युग था, जिसने समाज में प्रेम, सद्भाव और समानता के मूल्यों को बढ़ावा दिया।
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