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सूरदास के साहित्यिक जीवन के बारे में विस्तार से लिखिए? 250 शब्दों में जवाब
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सूरदास हिंदी साहित्य के भक्ति काल के एक महान कवि थे, विशेष रूप से कृष्ण भक्ति शाखा में। उनका साहित्यिक जीवन कृष्ण के प्रति उनकी अनन्य भक्ति और उनकी रचनाओं में कृष्ण के बाल रूप और लीलाओं के सुंदर चित्रण के लिए जाना जाता है।
जन्म और प्रारंभिक जीवन:
- सूरदास का जन्म रुनकता नामक गांव में हुआ था, जो आगरा के पास स्थित है।
- वे जन्म से अंधे थे या बाद में अंधे हो गए, इस पर विद्वानों में मतभेद है।
- उन्होंने अपना प्रारंभिक जीवन भक्ति और संगीत में बिताया।
दीक्षा और भक्ति:
- सूरदास ने वल्लभाचार्य से दीक्षा ली, जिन्होंने उन्हें कृष्ण भक्ति का मार्ग दिखाया।
- वे कृष्ण के अनन्य भक्त बन गए और अपना जीवन कृष्ण की लीलाओं का गान करने में समर्पित कर दिया।
प्रमुख रचनाएँ:
- सूरसागर: यह सूरदास की सबसे प्रसिद्ध रचना है, जिसमें कृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन है। इसमें सवा लाख पदों का संग्रह है, जिनमें से कुछ ही अब तक उपलब्ध हैं।
- सूरसारावली: यह सूरदास की दूसरी महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें 1107 छंद हैं और यह एक संक्षिप्त रचना है।
- साहित्य लहरी: इसमें 118 दृष्टिकूट पद हैं, जो राधा और कृष्ण के प्रेम और भक्ति से संबंधित हैं।
साहित्यिक विशेषताएं:
- कृष्ण भक्ति: सूरदास की रचनाओं में कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति और प्रेम का चित्रण है।
- बाल लीला वर्णन: उन्होंने कृष्ण के बाल रूप और उनकी लीलाओं का मनोहारी वर्णन किया है, जो पाठकों को आनंदित करता है।
- भाषा: सूरदास ने अपनी रचनाओं में ब्रज भाषा का प्रयोग किया है, जो मधुर और लयबद्ध है।
- भावनात्मक गहराई: उनकी कविताओं में भावनाओं की गहराई है, जो पाठकों को कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति से जोड़ती है।
सूरदास का साहित्यिक जीवन कृष्ण भक्ति और हिंदी साहित्य के लिए एक अनमोल धरोहर है। उनकी रचनाएँ आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का मार्ग दिखाती हैं।
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