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ट्रांसफार्मर क्या है?
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ट्रांसफार्मर एक स्थिर उपकरण है जो दो या दो से अधिक वाइंडिंग के माध्यम से एक सर्किट से दूसरे सर्किट में विद्युत ऊर्जा को स्थानांतरित करता है। यह ऊर्जा को आवृत्ति बदले बिना स्थानांतरित करता है। ट्रांसफार्मर विद्युत शक्ति प्रणालियों में वोल्टेज को बढ़ाने या कम करने के लिए उपयोग किए जाते हैं, और ये विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि बिजली आपूर्ति, विद्युत वितरण, और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण।
ट्रांसफार्मर के मुख्य भाग निम्नलिखित हैं:
- कोर: यह ट्रांसफार्मर का चुंबकीय परिपथ है, और यह आमतौर पर लोहे या स्टील से बना होता है।
- वाइंडिंग: ये तार के कुंडल होते हैं जो कोर के चारों ओर लिपटे होते हैं। ट्रांसफार्मर में दो या दो से अधिक वाइंडिंग हो सकती हैं, जिन्हें प्राथमिक वाइंडिंग और द्वितीयक वाइंडिंग कहा जाता है।
ट्रांसफार्मर का कार्य सिद्धांत विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित है। जब प्राथमिक वाइंडिंग में एक प्रत्यावर्ती धारा प्रवाहित होती है, तो यह एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। यह चुंबकीय क्षेत्र कोर के माध्यम से प्रवाहित होता है और द्वितीयक वाइंडिंग में एक वोल्टेज प्रेरित करता है। द्वितीयक वाइंडिंग में प्रेरित वोल्टेज प्राथमिक वाइंडिंग में वोल्टेज के अनुपात में होता है।
ट्रांसफार्मर के प्रकार:
- स्टेप-अप ट्रांसफार्मर: ये ट्रांसफार्मर वोल्टेज को बढ़ाते हैं।
- स्टेप-डाउन ट्रांसफार्मर: ये ट्रांसफार्मर वोल्टेज को कम करते हैं।
- ऑटो ट्रांसफार्मर: ये ट्रांसफार्मर केवल एक वाइंडिंग का उपयोग करते हैं।
- आइसोलेशन ट्रांसफार्मर: ये ट्रांसफार्मर दो सर्किटों को विद्युत रूप से अलग करते हैं।
ट्रांसफार्मर के अनुप्रयोग:
- विद्युत शक्ति प्रणालियों में वोल्टेज को बढ़ाना या कम करना
- विद्युत उपकरणों को बिजली की आपूर्ति करना
- इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सिग्नल को अलग करना
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