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बहुत संघवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार ने कौन कौन से कदम उठाए?
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श्रीलंका में बहुत संघवाद को बनाए रखने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- 13वां संशोधन: यह संशोधन श्रीलंका के संविधान में 1987 में किया गया था और इसने प्रांतीय परिषदों की स्थापना की। इन परिषदों को शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, और स्थानीय सरकार जैसे क्षेत्रों में स्वायत्तता दी गई थी। संविधान लिंक
- शक्तियों का वितरण: केंद्र सरकार और प्रांतीय परिषदों के बीच शक्तियों का वितरण किया गया है। इससे प्रांतीय परिषदों को अपने क्षेत्रों में विकास और शासन के लिए अधिक अधिकार मिले हैं।
- चुनाव: प्रांतीय परिषदों के लिए नियमित चुनाव कराए जाते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि प्रांतीय सरकारें लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।
- भाषा नीति: सरकार ने सिंहली और तमिल दोनों भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी नागरिकों को सरकारी सेवाओं तक समान पहुंच हो।
- सांस्कृतिक विविधता का सम्मान: सरकार श्रीलंका की सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करती है और सभी समुदायों को अपनी संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करती है।
इन कदमों के बावजूद, श्रीलंका में बहुत संघवाद को बनाए रखने में अभी भी कई चुनौतियां हैं। इनमें शामिल हैं:
- केंद्र सरकार का हस्तक्षेप: केंद्र सरकार अक्सर प्रांतीय परिषदों के मामलों में हस्तक्षेप करती है। इससे प्रांतीय परिषदों की स्वायत्तता कम हो जाती है।
- संसाधनों का असमान वितरण: संसाधनों का वितरण अक्सर असमान होता है, जिससे कुछ प्रांतों को दूसरों की तुलना में कम संसाधन मिलते हैं।
- जातीय तनाव: जातीय तनाव अभी भी श्रीलंका में एक समस्या है। इससे विभिन्न समुदायों के बीच अविश्वास पैदा होता है और बहुत संघवाद को कमजोर करता है।
इन चुनौतियों के बावजूद, श्रीलंका सरकार बहुत संघवाद को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। यह श्रीलंका में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।