आयुर्वेद
आयुर्वेद के चमत्कार क्या हैं?
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आयुर्वेद के चमत्कार क्या हैं?
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आयुर्वेद में लगभग 11000 जड़ी बूटियां। एक हिसाब से देखा जाए, तो प्रथ्वी पर पाई जाने वाला एक तिनका भी ओषधि है। बस, जानकारी और उपयोग मालूम हों।
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर से लिए गए इस लेख में फल, पुष्प और जड़ीबूटियों के बारे में बहुत ही संक्षिप्त रूप में बता रहे हैं।
जल, नीर या पानी भी एक चमत्कारिक ओषधि है।
यह अतिशयोक्ति नहीं है कि जल जिसे पंचतत्त्वों में एक मानते हैं। आयुर्वेद में जल को वरुण देवता मानकर स्तुति की गई है।
आयुर्वेद में कहा गया है कि प्रातः काल सोकर उठते ही एक गिलास शीतल जल यानि सादा पानी पीने वाला सदैव निरोगी रहता है।
सुबह उठते ही गर्म पानी पीना विष के समान है।
सादा जल मस्तिष्क को शीतल रखता है। तनाव मिटाता है और शरीर को सूजन से बचाता है।
पेट का पाचन संस्थान मजबूत तथा आंखों में चमक रहती है। शुद्ध जल मनुष्य का जीवन है, उसके बिना मनुष्य जीवित नहीं रह सकता। ऋग्वेद में मंत्र है
सर्वेषाम् भेषजम अप्सुमे।
जीवनां जीवनम् जीयोजगत् ।
अर्थात हे मनुष्यो! जल प्राणियों का प्राण है। मैंने तुम्हारे लिए सभी औषधियां जल में सुरक्षित रखी हैं।
आपो इद्धां उभेष जोरायो अभीव चातकी।
आपस सर्वस्य भेषजो स्तास्तु कृष्णन्तु भेषजः।।
अर्थात यह जल औषधि है। रोगों का नाश करने वाला, रोगों का शत्रु है। यह तुम्हारे सभी रोग दूर करेगा।
अप्स्वन्तर यमृतमनु (अथर्ववेद)
अर्थात प्रातः सदा जल ग्रहण करें। जल के बारे में अधिक क्या कहना, यह जल तो अमृत है।
शंकराचार्य जी कहते हैं कि भारतवर्ष में तीर्थों में स्नान भी एक चिकित्सा है। जल के महत्व के साथ वहां स्नान का महत्व अनिवार्य रूप से जुड़ा है।
सेवती यानि गुलाब गर्मी से माथा दुखता हो जिसकी दवा है।
गरमी से माथा दूखे तो सेवती का इस तथा अतर यानि इत्र सूंघे, तो बन्द होवे सेवती/गुलाब का गुलकन्द जल के साथ लेवे।
गुलाब को संस्कृत में -- तरुणी, कुब्जक, शतपत्री। मराठी में -- सेवती, कांटे शेवती। गुजराती में–सेवती, मौसमी गुलाव और बंगला में- सेवती, गुलाब कूजा कहते हैं।
मानसिक क्लेश दूर करता है
तनाव, भारीपन, अवसाद या डिप्रेशन मिटाने के लिए गुलाब अर्थात सेवती के फूल 10 ग्राम इलायची एक नग कालीमिरच नग ७, मिसरी एक तोला या१० ग्राम घोटकर पीवे, तो सभी मानसिक विकार दाह, गरमी मिटै माथा की व्याधि मिटे स्थाई आराम होवे।
गुलकंद एक चमच में कालीमिर्च, इलायची, ब्राह्मी चूर्ण, जटामांसी मिलाकर सुबह खाली पेट सादे जल से सेवन करें, तो आधासीसी या माइग्रेन का दर्द मिटता है। एसिडिटी शांत होती है।
बाय यानि वात विकार की गरमी से माथा दूखता होवे, तो चैती (चैत्र मास में खिला) गुलाब का अतर इत्र सूंघे, तो बन्द होवे।
गोपीचन्दन और गुलाब जल ये दोनों माथे पर लगाने से नकसीर बन्द होवे।
गुलाबजल से आंख धोवे यो आंख की गरमी जड़ से मिट जाती है।
मोंगरा, वार्षिकी, मल्लिका, मुदगर के फायदे
मराठी में - मोंगरा, रानमोंगरी, सोरइ मोंगरा। गुजराती- राजमोंगरी, बल्य, चिखलयो। बंगला में- बेलफुल्लगछ, फुलेरगाछ, मल्लिकाभेद।
भरिया फूटा फोड़ा की दवा
भरिया यानि बालतोड, फ्रूटा फोड़ा होवे, तो मोंगरा का पत्ता पीस कर घृत देशी घी में मिलाके गरम करके बांधे आराम होवे।
बवासीर, फिस्टुला का इलाज
मोंगरा के 20 पत्ते, गूगल 10 ग्राम पीसकर टिकिया बनाके, 50 ग्राम देशी घी में डालकर आंच पर चढ़ावे। जब सब जल जावे, तो इसमें मोम 20 ग्राम डालकर मल्हम बनावे। पीछे उसको लगावे आराम होवे।
मोंगरा का अतर इत्र सूंघे तो मगज यानि मस्तिष्क ठंडा तर होवे।
चमेली, तलवों की जलन, दाह गरमी, मुंह में छाले की दवा।
चमेली का पान उबाल के कुल्ला करे आराम होवे मुंह का छाला मिटे।
केसा भी शरीर में दाहा गरमी या माथा की कूलन या तड़कन मिट। मुह में छाला होवे, तो चमेली का फूल तथा अतर सूघें।
चमेली का पान यानि पत्ता 25 नग, काली मिरच नग ७ इलायची नग २ मिसरी 10 ग्राम घोटकर पीवे तो आराम होवे।
दाऊदी पुष्प सूंघने से पीना का रोग दूर होता है।बेवची होवे तो दाऊदी का रस लेवे उसमें अजमोद जलाके मिलावे, घोटकर बेवची के ऊपर लगावे, बेवची जावे दिन ७तथा लगावे तो आराम होवे।
बेर के फायदे
हर माह की मासशिवरात्रि और महाशिवरात्रि को 27 बेर अर्पित करने से पुराने से पुराण बैर यानि दुश्मनी दूर होती है। एक दीपक RAAHUKEY Oil का जलाकर 7 शिवरात्रि तक करें। इससे देह के असाध्य रोग भी मिटेंगे।
बेर को संस्कृत मेंअर्कधु, काल, हस्तकोला, सांबीर कहते हैं।मराठी में बोरोचझड़ा, बोर राम, बोर। गुजराती में मोटी बोरडी, बोरडी। बंगला में वडकुलगाछ, बरुई शियाकुल।
कोलास्थिमज्जा कलकस्तु पीतोवाप्युदकेनच।
अविराद्वि निहंत्येष प्रयोगो भस्मकं नृणाम्॥
अर्थ – बेर की गुठली की मिंगी पानी में पीसकर पीवे तो भस्म रोग का नाश होता है।
बेर के बीज, लौंग और सीताफल के बीज तीनों बराबर लेकर पीसें और लेप बनाकर खोपड़ी में लगाएं, तो लीख, जुएं, रूसी में लगाएं, तो बालों की गंदगी साफ हो जाती है। बाल बढ़ते हैं।
गुलहजारी के फायदे
हिचकी चलती हो, कंठ सुरीला न हो, तो गुलेहजारी फूल और पत्ते का रस निकालकर, इस रस में रुद्राक्ष घिसकर जिव्हा पर दिन में 3 बार लगाएं।
गुलहजारी का फूल, आधा ग्राम हल्दी मिलाकर खाने से मुख दोष, मुंह की बदबू मिट जाती है।
सीताफल के फायदे
सीताफल का संस्कृत नाम आतृष्य है। बंगाली में आता कहते है।
सीताफल का बीज पेट के कीड़े, जुएं, त्वचा के रोग साफ करता है।
चेहरा गंदा हो रहा हो, तो सीताफल के बीज, नीम पत्र, मंजिष्ठा, चिरौंजी का लेप मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर लगाकर सुखाएं। 15 दिन में निखार आएगा।
शरीर में कोई पुराना जख्म या घाव हो और उसमें कीड़े पड़ गए हों, तो सीताफल के पत्ते, इलायची के साथ पीसकर बांध देवें।
पित्त दोष की शान्ति था यकृत के कमजोरी में सीताफल हितकारी है। अरहर की दाल एवम खटाई न लेवें।
सीताफल का बीज घिसकर लगाने से गंजापन रुकता है।
बूटी के बल नामक पुरानी पुस्तक में 265 बूटियों का उल्लेख है।

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आयुर्वेद के चमत्कार: एक समग्र दृष्टिकोण
आयुर्वेद, जिसका अर्थ है "जीवन का विज्ञान", एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन पर जोर देती है। यह सिर्फ लक्षणों का इलाज करने के बजाय बीमारी के मूल कारण को संबोधित करने पर केंद्रित है। आयुर्वेद के कई चमत्कार हैं, जिनमें शामिल हैं:
- प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद जड़ी-बूटियों, खनिजों और अन्य प्राकृतिक पदार्थों का उपयोग करता है जो आमतौर पर सुरक्षित होते हैं और इनके कम दुष्प्रभाव होते हैं।
- व्यक्तिगत उपचार: आयुर्वेदिक उपचार प्रत्येक व्यक्ति की अनूठी शारीरिक और मानसिक constitución के अनुरूप होते हैं।
- समग्र दृष्टिकोण: आयुर्वेद शरीर, मन और आत्मा को एक इकाई के रूप में मानता है और उपचार में इन सभी पहलुओं को संबोधित करता है।
- निवारक उपाय: आयुर्वेद बीमारी को रोकने और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर जोर देता है।
- दीर्घकालिक स्वास्थ्य: आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य केवल लक्षणों को दूर करना नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देना है।
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