यदि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण थे, तो क्या द्वापर युग के लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के असली रूप को देखा होगा? क्या उन्होंने उनके असली स्वरूप को दर्शाया होगा? अगर दर्शाया है, तो उनका असली रूप क्या है? और अगर नहीं दर्शाया है, तो क्यों नहीं दर्शाया, जबकि उन्होंने तो उनका असली रूप देखा होगा?
यदि द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण थे, तो क्या द्वापर युग के लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के असली रूप को देखा होगा? क्या उन्होंने उनके असली स्वरूप को दर्शाया होगा? अगर दर्शाया है, तो उनका असली रूप क्या है? और अगर नहीं दर्शाया है, तो क्यों नहीं दर्शाया, जबकि उन्होंने तो उनका असली रूप देखा होगा?
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है:
क्या द्वापर युग के लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के असली रूप को देखा?
हाँ, द्वापर युग के लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के असली रूप को देखा था। श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार थे और उन्होंने मानव रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया था। इसलिए, उस युग के लोगों ने उन्हें एक सामान्य मनुष्य के रूप में देखा, उनसे बात की, और उनके साथ जीवन बिताया।
क्या उन्होंने उनके असली स्वरूप को दर्शाया?
भगवान श्री कृष्ण ने समय-समय पर अपने असली स्वरूप को दर्शाया था, खासकर अपने भक्तों और कुछ विशेष अवसरों पर। महाभारत में, उन्होंने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था, जो उनके दिव्य और ब्रह्मांडीय स्वरूप का प्रतीक था। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कई लीलाएं कीं जिनमें उनकी दिव्य शक्ति और महिमा प्रकट होती थी।
उनका असली रूप क्या है?
भगवान श्री कृष्ण का असली रूप दिव्य और अनंत है। यह स्वरूप वर्णन से परे है, लेकिन इसे अक्सर विष्णु के रूप में दर्शाया जाता है, जिनके चार हाथ हैं, जिनमें शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए हैं। उनका रंग नीला है और वे पीताम्बर (पीले वस्त्र) पहनते हैं। उनका स्वरूप तेज और सौंदर्य से परिपूर्ण है।
अगर नहीं दर्शाया, तो क्यों नहीं दर्शाया, जबकि उन्होंने तो उनका असली रूप देखा होगा?
यह कहना सही नहीं है कि उन्होंने उनका असली रूप नहीं दर्शाया। उन्होंने अपने भक्तों और कुछ विशेष लोगों को अपने दिव्य स्वरूप का दर्शन कराया था। हालांकि, हर किसी को उनका यह रूप देखने का अवसर नहीं मिला, क्योंकि भगवान अपनी लीलाओं और कर्मों के माध्यम से धर्म की स्थापना करने और लोगों को सही मार्ग दिखाने के लिए आए थे। उनका मानव रूप में रहना भी उनकी लीला का एक हिस्सा था।
संक्षेप में, द्वापर युग के लोगों ने भगवान श्री कृष्ण के मानव रूप को देखा और कुछ विशेष अवसरों पर उनके दिव्य स्वरूप का भी दर्शन किया।