धर्म
भगवान
मेरा कहने का मतलब है कि हमारा जो सनातन धर्म है, यह भगवान के बारे में मिथ्या बोलता है कि भगवान है? अगर भगवान होते तो उनका असली रूप भी होता?
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मेरा कहने का मतलब है कि हमारा जो सनातन धर्म है, यह भगवान के बारे में मिथ्या बोलता है कि भगवान है? अगर भगवान होते तो उनका असली रूप भी होता?
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आपके प्रश्न में दो मुख्य बातें हैं:
- क्या सनातन धर्म भगवान के बारे में मिथ्या बोलता है?
- अगर भगवान होते तो उनका असली रूप भी होता?
सनातन धर्म और भगवान:
सनातन धर्म, जिसे हिंदू धर्म के नाम से भी जाना जाता है, भगवान के बारे में मिथ्या नहीं बोलता है। यह धर्म भगवान के विभिन्न रूपों और अवधारणाओं को प्रस्तुत करता है। यह निर्गुण (निराकार) और सगुण (साकार) दोनों रूपों में भगवान की उपासना करने की अनुमति देता है।
- निर्गुण ब्रह्म: यह भगवान का निराकार रूप है, जो सभी गुणों और सीमाओं से परे है।
- सगुण ब्रह्म: यह भगवान का साकार रूप है, जिसमें विभिन्न देवी-देवता शामिल हैं, जैसे विष्णु, शिव, दुर्गा, आदि।
सनातन धर्म में, यह माना जाता है कि भगवान एक ही हैं, लेकिन भक्त अपनी श्रद्धा और समझ के अनुसार उन्हें विभिन्न रूपों में पूजते हैं।
भगवान का असली रूप:
यह एक दार्शनिक प्रश्न है जिसका उत्तर विभिन्न दृष्टिकोणों से दिया जा सकता है।
- अद्वैत वेदांत: अद्वैत वेदांत के अनुसार, भगवान का असली रूप निराकार और निर्गुण ब्रह्म है। यह रूप सभी नामों और रूपों से परे है।
- विशिष्टद्वैत वेदांत: विशिष्टद्वैत वेदांत के अनुसार, भगवान का असली रूप सगुण ब्रह्म है, जो गुणों और रूपों से युक्त है। यह रूप विष्णु या नारायण के रूप में जाना जाता है।
- द्वैत वेदांत: द्वैत वेदांत के अनुसार, भगवान और जीव अलग-अलग हैं। भगवान का असली रूप सगुण ब्रह्म है, जो अपने सभी गुणों और रूपों के साथ विद्यमान है।
इसलिए, भगवान का असली रूप क्या है, यह आपकी अपनी आध्यात्मिक समझ और विश्वास पर निर्भर करता है।
अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित स्रोतों का उल्लेख कर सकते हैं: