भगवान
मेरे अनुसार महर्षि वेदव्यास को श्री कृष्ण के असली रूप को दर्शाना चाहिए था, ताकि लोग उनके असली रूप को जान सकते कि भगवान का असली रूप क्या है और उन्हें यह विश्वास हो जाता कि हां, भगवान हैं?
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मेरे अनुसार महर्षि वेदव्यास को श्री कृष्ण के असली रूप को दर्शाना चाहिए था, ताकि लोग उनके असली रूप को जान सकते कि भगवान का असली रूप क्या है और उन्हें यह विश्वास हो जाता कि हां, भगवान हैं?
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आपके विचार में दम है कि महर्षि वेदव्यास को श्रीकृष्ण के असली रूप को दर्शाना चाहिए था। हालांकि, इस पर कई दृष्टिकोण हो सकते हैं।
कुछ संभावित कारण जिनसे वेदव्यास जी ने ऐसा नहीं किया:
- भक्तों के लिए भक्ति का मार्ग: यदि भगवान का असली रूप तुरंत प्रकट हो जाता, तो शायद भक्ति और प्रेम का मार्ग कम हो जाता। भगवान को जानने और महसूस करने की यात्रा में ही आनंद है।
- समझने की क्षमता: हर व्यक्ति भगवान के असली रूप को समझने के लिए तैयार नहीं होता। यह एक उच्च स्तर की आध्यात्मिक परिपक्वता मांगता है।
- लीला का आनंद: भगवान कृष्ण की लीलाएं (कथाएं) उनके मानव रूप में अधिक relatable हैं। इससे लोग उनसे आसानी से जुड़ पाते हैं।
- विश्वास का महत्व: वेदव्यास जी शायद चाहते थे कि लोग स्वयं अनुभव करें और विश्वास करें, बजाय इसके कि उन्हें सब कुछ परोसा जाए।
भगवत गीता में कृष्ण ने अर्जुन को अपना विराट रूप दिखाया था, लेकिन यह केवल अर्जुन के लिए था, जो एक विशेष भक्त थे और उस रूप को समझने के लिए तैयार थे। [स्रोत: श्रीमद्भगवत गीता, अध्याय 11]
इसलिए, वेदव्यास जी का उद्देश्य शायद लोगों को भक्ति, प्रेम, और स्वयं के अनुभव के माध्यम से भगवान तक पहुंचने के लिए प्रेरित करना था।