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पद्माकर द्वारा चित्रित वसंत ऋतु का वर्णन कीजिए?
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पद्माकर रीतिकाल के प्रसिद्ध कवियों में से एक थे और उन्होंने अपनी रचनाओं में वसंत ऋतु का बहुत ही सुंदर और मनोहारी वर्णन किया है। उनकी कविताओं में वसंत ऋतु का चित्रण प्रकृति के सौंदर्य, प्रेम और उल्लास के प्रतीक के रूप में किया गया है।
पद्माकर के वसंत वर्णन की कुछ मुख्य बातें:
- प्रकृति का सौंदर्य: पद्माकर ने वसंत ऋतु में प्रकृति के सौंदर्य का बहुत ही सूक्ष्म और आकर्षक वर्णन किया है। उन्होंने फूलों के खिलने, पेड़ों पर नए पत्ते आने, पक्षियों के चहचहाने और भौंरों के गुंजारने जैसे दृश्यों को अपनी कविताओं में जीवंत कर दिया है।
- प्रेम और उल्लास का प्रतीक: वसंत ऋतु को प्रेम और उल्लास का प्रतीक माना जाता है, और पद्माकर ने अपनी कविताओं में इस भावना को बखूबी व्यक्त किया है। उन्होंने वसंत ऋतु को नायक-नायिका के मिलन और प्रेम के इजहार के अवसर के रूप में चित्रित किया है।
- रंगों का प्रयोग: पद्माकर ने अपनी कविताओं में रंगों का बहुत ही सुंदर और प्रभावी प्रयोग किया है। उन्होंने फूलों के विभिन्न रंगों, जैसे लाल, पीला, नीला और हरा, का वर्णन करके वसंत ऋतु के सौंदर्य को और भी बढ़ा दिया है।
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उदाहरण: पद्माकर की एक कविता में वसंत ऋतु का वर्णन इस प्रकार है:
"देखो तो कैसी छाई है बहार,
फूलों से लदी है डाल डाल।
भौंरों का गुंजन है कान में,
कोयल की कूक से मन है बेहाल।"
पद्माकर की कविताओं में वसंत ऋतु का वर्णन बहुत ही सजीव और आकर्षक है, जो पाठकों को प्रकृति के सौंदर्य और प्रेम के आनंद में डुबो देता है।