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दोहा और रोला छंद मिलकर कौन सा छंद बनता है?
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दोहा और रोला छंद मिलकर कुण्डलिया छंद बनता है।
कुण्डलिया एक संयुक्त छंद है जो भारतीय काव्य परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह दो छंदों के मेल से बनता है, जिनमें पहला दोहा और दूसरा रोला होता है।
- दोहा: दोहा छंद के पहले दो चरण कुण्डलिया छंद के पहले दो चरण होते हैं। दोहा अर्धसम मात्रिक छंद है जिसमें 24 मात्राएँ होती हैं। इसके पहले और तीसरे चरण में 13-13 मात्राएँ और दूसरे और चौथे चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
- रोला: रोला छंद के बाद के चार चरण कुण्डलिया छंद बनाते हैं। रोला एक सम मात्रिक छंद है जिसमें 24 मात्राएँ होती हैं। इसके प्रत्येक चरण में 11 और 13 मात्राओं के बाद यति होती है।
कुण्डलिया छंद की विशेषता यह है कि यह जिस शब्द से शुरू होता है, उसी शब्द से समाप्त भी होता है।
उदाहरण के लिए:
सांईं सेती चित्त लाइ, भज मन गिरधर गोपाल।
बिन हरि कोउ काम ना आइ, मोह माया सब जाल।
मोह माया सब जाल, झूठा बंधन जग का।
अंतकाल पछतायेगा, साथ नाहिं लग का।
कह गिरधर कविराय, सुनो रे मेरे भाई।
सांईं सेती चित्त लाइ, भज मन गिरधर गोपाल।