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भावनाएँ

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क्रोध एक ऐसी भावना है जो हर इंसान में मौजूद होती है। यह एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जो किसी अन्याय, निराशा या खतरे का सामना करने पर उत्पन्न होती है। हालांकि, क्रोध को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अनियंत्रित क्रोध मनुष्य के लिए एक प्रबल शत्रु बन सकता है।

क्रोध के नकारात्मक प्रभाव:

  • शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध के कारण हृदय गति और रक्तचाप बढ़ सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, बार-बार क्रोधित होने वाले लोगों में हृदय संबंधी समस्याएं होने की संभावना अधिक होती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: क्रोध चिंता, तनाव और अवसाद को बढ़ा सकता है। यह नींद में खलल पैदा कर सकता है और एकाग्रता को कम कर सकता है।
  • संबंधों पर प्रभाव: क्रोध अक्सर दूसरों के साथ संघर्ष और गलतफहमी का कारण बनता है। यह रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकता है और सामाजिक अलगाव को बढ़ा सकता है।
  • निर्णय लेने की क्षमता पर प्रभाव: क्रोधित होने पर, व्यक्ति तर्कसंगत रूप से सोचने और सही निर्णय लेने की क्षमता खो देता है। इससे गलतियाँ हो सकती हैं जिनके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

क्रोध को नियंत्रित करने के उपाय:

  • क्रोध के कारणों को पहचानें: उन स्थितियों और लोगों की पहचान करें जो आपको क्रोधित करते हैं।
  • शांत रहने की तकनीकें सीखें: गहरी सांस लेना, ध्यान करना और योग करना क्रोध को शांत करने में मदद कर सकता है।
  • अपनी भावनाओं को व्यक्त करें: अपनी भावनाओं को दबाने के बजाय, उन्हें स्वस्थ तरीके से व्यक्त करें, जैसे कि किसी विश्वसनीय मित्र या परिवार के सदस्य से बात करना।
  • समस्या-समाधान कौशल विकसित करें: उन समस्याओं को हल करने के तरीके खोजें जो आपको क्रोधित करती हैं।
  • पेशेवर मदद लें: यदि आपको अपने क्रोध को नियंत्रित करने में कठिनाई हो रही है, तो किसी चिकित्सक या परामर्शदाता से मदद लें।

संक्षेप में, क्रोध एक शक्तिशाली भावना है जिसे नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। अनियंत्रित क्रोध मनुष्य के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। क्रोध को नियंत्रित करने के लिए, इसके कारणों को पहचानना, शांत रहने की तकनीकें सीखना, अपनी भावनाओं को व्यक्त करना, समस्या-समाधान कौशल विकसित करना और आवश्यकता पड़ने पर पेशेवर मदद लेना महत्वपूर्ण है।

उत्तर लिखा · 20/4/2025
कर्म · 320
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पराधीनता का अर्थ है किसी और के अधीन होना, अपनी इच्छा से काम न कर पाना। जब हम किसी और के नियंत्रण में होते हैं, तो हमारी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। इसलिए पराधीनता में सुख की कल्पना करना मुश्किल है।

पराधीनता में सुख क्यों नहीं होता, इसके कुछ कारण:
  • स्वतंत्रता का अभाव: पराधीन व्यक्ति अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता। उसे हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। स्वतंत्रता मनुष्य के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, और इसका अभाव दुख का कारण बनता है।
  • निर्णय लेने की क्षमता का अभाव: पराधीन व्यक्ति अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं नहीं ले सकता। उसके निर्णय कोई और लेता है, जिससे असंतोष और निराशा की भावना पैदा होती है।
  • आत्म-सम्मान की कमी: जब कोई व्यक्ति लगातार दूसरों पर निर्भर रहता है, तो उसका आत्म-सम्मान कम हो जाता है। उसे लगता है कि वह स्वयं कुछ भी करने में सक्षम नहीं है।
  • दबाव और तनाव: पराधीन व्यक्ति हमेशा दूसरों के दबाव में रहता है। उसे उनकी इच्छाओं के अनुसार काम करना पड़ता है, भले ही वह ऐसा न करना चाहता हो। इससे तनाव और चिंता की भावना पैदा होती है।

इसके विपरीत, स्वतंत्रता में सुख है क्योंकि व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार कार्य कर सकता है, अपने निर्णय स्वयं ले सकता है, और अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकता है। स्वतंत्रता आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और संतुष्टि की भावना लाती है। इसलिए, पराधीनता में सुख की उम्मीद करना व्यर्थ है।

उत्तर लिखा · 20/4/2025
कर्म · 320
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मनोदशा एक भावनात्मक स्थिति या भावना है। यह किसी व्यक्ति की भावनाओं और विचारों का एक विस्तारित अवधि तक रहने वाला सामान्य रूप है। मनोदशा भावनाओं से भिन्न होती है, जो तीव्र होती हैं और विशिष्ट उत्तेजनाओं द्वारा लाई जाती हैं, जबकि मनोदशा अधिक स्थिर और सामान्यीकृत होती है। मनोदशा किसी व्यक्ति के व्यवहार, विचारों और कल्याण को प्रभावित कर सकती है।

मनोदशा के प्रकार:

  • खुश: आनंद, संतोष और कल्याण की भावना।
  • उदास: दुःख, निराशा और रुचि की कमी की भावना।
  • गुस्सा: निराशा, चिड़चिड़ापन और शत्रुता की भावना।
  • चिंता: भय, घबराहट और बेचैनी की भावना।

मनोदशा को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • तनाव
  • नींद की कमी
  • खराब आहार
  • हार्मोनल परिवर्तन
  • कुछ चिकित्सा स्थितियां

यदि आप अपनी मनोदशा से जूझ रहे हैं, तो मदद के लिए पहुंचना महत्वपूर्ण है। ऐसे कई उपचार उपलब्ध हैं जो आपको अपनी मनोदशा को प्रबंधित करने और अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित वेबसाइटों पर जा सकते हैं:

उत्तर लिखा · 20/4/2025
कर्म · 320
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क्रोध “एक सामान्य और ज्यादातर स्वास्थ्यप्रद और मानव के शरीर के मन में उत्पन्न भावना” की तरह गुस्से को मान सकते है और गुस्से से उबार के बाद यदि आप इसे भुला पाते हैं तो यह ठीक है. हालाँकि जब हम anger को control नहीं कर पाते है.

तो जीवन के हर पहलू की समस्या को दावत दे देते हैं चाहे वो Physically हो, Mentally हो, Emotionally हो या फिर सामाजिक. गुस्से के कारण हमें कुछ भी समझ नहीं आता है. और गुस्से में कुछ भी कर बैठते है और इसी वजह से काफी नुकसान हो जाता है.

गुस्से से हमारे जीवन में ही बल्कि हमारे स्वस्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. और गुस्सा हमारी किसी परिस्थिति में मूलभूत प्रतिक्रिया सामना करे या भागे को शुरू करता है. Heart Beat में बहुत तेजी आ जाती है, Blood Pressure में वृद्धि और तनाव में वृद्धि, ये क्रोध के प्रारंभिक परिणाम हैं.

Breathing की speed भी बढ़ जाती है. जब क्रोध आता है तो Body और Mind Disturb हो जाता है तो समय के साथ हमारे Metabolism में Changes आ जाता है जो न केवल Health को effect करता है बल्कि जीवन की सम्पूर्ण गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है.
गुस्से पर काबू कैसे करें और मन को शांत कैसे करें

गुस्से के कारण हमारे अच्छे गुण भी छुप जाते है. गुस्से के कारण हमे कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जैसे Heart Attack, पक्षाघात, रोग प्रतिकारक क्षमता में कमी, skin Problems, अनिद्रा, High blood Pressure, Digest Related Problems, चिंता और अवसाद, सिरदर्द, Negative Emotions और कई बार तो गुस्से के कारण जान से मरने मारने की नौबत आ जाती है.


योग आपके गुस्से को शांत करने में मदद करे

क्योंकि भास्त्रिका व नाड़ी शोधन प्राणायाम मन की बेचैनी को कम करने में मदद करते हैं. जब मन शांत व स्थिर होता है, आपके झुंझलाने या क्रोधित होने की संभावना कम हो जाती है. और जब भी आपको बहुत तेज गुस्सा आये तो आप कुछ गहरी साँसें ले व छोड़ें यदि आप ऐसा कुछ देर तक करते है तो आपका गुस्सा तुरंत ही ठंडा हो जायेगा जब आप क्रोध में हैं, आँखे बंद करें और कुछ गहरी साँसें लें और देखे कि मन में क्या हलचल हो रही है.

और क्या आप जानते है की सांस तनाव को दूर करती है और मन को शांत होने में मदद होती है.अगर आप रात में ठीक से नहीं सो पाते है तो आपको गुस्सा बहुत जल्दी आ जायेगा. शरीर की Exhaustion व Nervousness मन में झुंझलाहट व Anxiety यानी गुस्सा लाती है. इसलिए हर रोज़ 6 – 8 घंटे सोना बहुत ही महत्वपूर्ण है.




ये आपके Mind Or BOdy का Relax निश्चित करता है. और आपके बेचैन होने की संभावना कम होती है. जिससे क्रोध नहीं आता है और नींद भी आपके गुस्से को शांत करने में आपकी मदद करती है.आप मैडिटेशन करे आपको लाभ होगा.

योग, प्राणायाम का नियमित अभ्यास और आहार पर ध्यान असहजता को शांत करता है. और जब भी आपको बहुत तेज गुस्सा आएं तो आप कुछ गुनगुनाने लगे ये आपके गुस्से को खत्म कर देगा. क्योंकि शान्ति और क्रोध दोनों ही एक दूसरे के विपरीत है और गुनगुनाना शांति को लाता है.
उत्तर लिखा · 18/7/2018
कर्म · 1750
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ईश्वर से प्रेम के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, क्योंकि दुआओं में असर होता है.जब भी किसी को प्रेम करें तो याद रखें कि संयम और प्रतीक्षा सबसे उत्तम उपाय है.प्रेम प्राप्ति के लिए आप भगवान् कामदेव और देवी रति के साथ साथ शिव-शक्ति, गणपति, और भगवान विष्णु जी की पूजा कर सकते हैं.इन्द्र देवता, अग्नि देवता, चन्द्रमा देवता, अप्सराओं व यक्षिणी देवियों की उपासना भी प्रेम प्रदान करती हैं.देवी दुर्गा जी से मांगी गयी प्रेम व सुख शान्ति सौभाग्य की तत्काल पूर्ती होती है.यदि प्रेम विवाह करना चाहते हैं तो व्रत एवं दान बहुत सहायक होते हैं. 

मोहब्बत...  प्रेम... प्यार... प्रीत... चाहत... एक अहसास है जिसे शब्दों में व्यक्त कर पाना बहुत कठिन है. प्रेम को सिर्फ महसूस किया जा सकता है. यह सिर्फ भावनाओं का अटूट संबंध है. बहुत से लोगों का प्रश्न होता है कि प्रेम क्या है? प्रेम होता कैसे है? और जब होता है तो क्या होता है? प्रेम की महानता के ऐसे असंख्य किस्से, उदाहरण है जिन्हें हम कहीं ना कहीं अक्सर सुनते-पढ़ते और कहते रहते हैं. प्रेमियों के लिए आदर्श प्रेम है राधा-कृष्ण का प्रेम. श्रीकृष्ण का संपूर्ण जीवन प्रेम ही सिखाता है.एक प्रकार से देखा जाए तो वेलेंटाइन बसंतोत्सव का ही एक आधुनिक नाम है क्योंकि यह दिन बसंत के मौसम में ही आता है. यह पर्व सिर्फ दो प्रेमियों तक सीमित नहीं रहता बल्कि पशु-पक्षी भी वेलेंटाइन-डे मनाते हैं. बसंत के मौसम ही पशु-पक्षियों का मिलन होता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने भी अपने समय में संत वेलेंटाइन का किरदार निभाया था. वृंदावन की कुंज गलियों में गोपीओं के साथ भगवान श्रीकृष्ण बसंत ऋतु के दौरान रासलीलाएँ करते-करते गोपियों के मन में प्रेम के बीज को रोपित करते थे. उनकी बाँसुरी से छोड़े गए मधुर आलापों को सुनकर गोपियाँ सब कुछ छोड़कर इस प्यार के जादूगर के पास आ जाती थीं.
बसंत के दौरान ही पार्वती ने भगवान श्री शंकर के प्यार को जीतने में सफलता प्राप्त की थी. इस ऋतु में ही कामदेव और रति ने अपने मोहक नृत्य से भगवान श्री शंकर के मन में देवी पार्वती के प्रति प्यार का रस जगाया था. श्रीकृष्ण ने अपनी बहन सुभ्रद्रा और अर्जुन को मिलवाने के लिए भी संत वेलेंटाइन की भूमिका निभाई थी.
खुदा जब इश्क की इबारत लिखने बैठा तो थोड़ी देर बाद ही अधूरा छोड़कर उठ बैठा. इसके अहसास को शिद्दत से महसूस करने के लिए ही इसका अधूरापन बहुत जरूरी है. खुदा ने यह जान-बूझकर अधूरा छोड़ा क्योंकि इसे पूरा कर देता तो इंसान को किसी चीज की जरूरत नहीं होती. किसी को खो देने की टीस किसी को पा लेने से खुशी से ज्यादा असर रखती है. हर किसी की जिंदगी में किसी को पा लेने की तीव्र उत्कंठा होती है, जो मंजिल तक नहीं पहुंच पाने के दर्द की शक्ल में हमेशा जिंदा रहती है. चाहे कुछ भी हो, प्रेम आपके अंतर्मन को नई परिभाषा देता है.
हमेशा किसी की हां से या किसी के पहलू में जिंदगी गुजारने से ही इश्क पूरा नहीं होता. इश्क होने से पहले क्या इस बात की शर्त रखी जाती है कि आप जिसे चाहें वह ताउम्र आपके पास रहे? क्या साथ रहना भी पास रहने जितना अहम नहीं है? शायद है, क्योंकि आपको उस शख्स से अहसासों का जुड़ाव है जो उम्र या फासलों से कभी नहीं मिट पाता.
कई कहानियां अनचाही चुभती टीस पर खत्म होती हैं. ऐसे में लगता है कि दुनिया में कुछ भी नहीं बचा. सब कुछ खत्म हो गया. लेकिन यहीं से आपकी मोहब्बत आपकी प्रेरणा बन जाती है. आपके सोचने की शक्ति आश्चर्यजनक रूप से बदलने लगती है. यह ऐसा वक्त होता है जब आपके भीतर सब कुछ टूटने लगता है लेकिन आपके अंदर सृजन नई अंगड़ाई लेता है.
इश्क वह मुकद्दस जज्बा है जिसमें डूबकर ही उसे समझा जा सकता है. किनारे बैठकर इसकी गहराई का अंदाजा नहीं लगा सकते. हर किसी की जिंदगी में ऐसा मौका आता है जब आपकी मोहब्बत उजड़ जाती है लेकिन यह अंत नहीं होता. यहां से आपकी नई यात्रा शुरू होती है. आपके अंतर की यात्रा, जिसमें आपको खुद को खोजना और पाना होता है.

वैलेंटाइन्स डे की खुमारी तकरीबन सारी दुनिया में देखी जा रही है. पूरब से लेकर पश्चिम तक, उत्तर से लेकर दक्षिण तक.कहते हैं कि खुशियाँ मनाने के लिए बहानों की ज़रूरत पड़ती है. वैलेंटाइन्स डे का मौका नए दौर के नौजवानों के लिए ऐसा ही एक मौका होता है. हालांकि पश्चिमी देशों में वैलेंटाइन्स डे का चलन थोड़ा पुराना है पर पूरब में ये अपेक्षाकृत नया चलन है. वैलेंटाइन्स डे के दिन दुनिया भर में गुलाबों की बिक्री जबरदस्त तरीके से बढ़ जाती है.  ये मौका बाज़ार और कारोबार के लिहाज से भी अहम होता है. कई कंपनियाँ इस अवसर को भुनाने की कोशिश में रहती है. इस मौके पर दुनिया भर के प्रेमी युगल अपनी शादी की प्लानिंग कर रहे हैं


उत्तर लिखा · 7/6/2018
कर्म · 810
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क्रोध के अनेक कारण हो सकते हैं। मुख्य बात है कि क्रोध को संभाला कैसे जाए, तो इसके लिए आप को सबसे पहले अपने दिमाग से निकाल देना होगा कि जिस बात पर आप क्रोध कर रहे हैं उससे अपको कोई भारी नुकसान होगा। हमारा कोई कभी भी भारी नुकसान नहीं कर सकता। केवल हम ही अपना नुकसान कर सकते हैं। इसलिए आप हमेशा याद रखें कि आप को कोई भारी नुकसान नहीं दे सकता ओर जब कोई भारी नुकसान नहीं कर सकता तो आपको भी जादा क्रोध नहीं करना है। जब भी आप क्रोधित हो तुरंत उस स्थान को त्याग दे ओर मंथन करे कि जिस बात को लेकर आप क्रोधित थे उससे अपको कोई भारी नुकसान होता या आप ही क्रोध में आकर कुछ उल्टा सीधा कर देते ओर अपना ही भारी नुकसान कर लेते। इसीलिए अपको अपने ऊपर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए।
Note- कुछ लोग क्रोध का कारण जानना चाह रहे हैं क्रोध एक अनुभूति है जो किसी भी कारण से हो सकती है। हर इंसान इस दुनिया को अपने तरीके से देखता है और अपने ही तरीके से चलाना चाहता है जो कि संभव नहीं है और जब वह ये नहीं कर पाता तो उसको एक अनुभूति होती है जिसे क्रोध कहते हैं। इसके ओर भी कारण अनगिनत कारण  हो सकते हैं।
क्रोध हमेशा बुरा ही नहीं होता अच्छा भी होता है जैसे कि अगर आप किसी अच्छे के लिए क्रोध कर रहे तो वो अच्छा है लेकिन क्रोध में आकर कुछ गलत करना अच्छा नहीं है।
महात्मा गांधी ने कहा है कि क्रोध को पालना चाहिए और बड़ा करना चाहिए जो कि आगे चलकर महान कार्य में परिवर्तित हो जाता है।
उत्तर लिखा · 3/6/2018
कर्म · 4210
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अच्छा ये कैसे हो सकता कि जीवन की कल्पना बिना दुःख के कैसे कर सकते हो l क्या कभी दिन की कल्पना रात के बिना की जा सकती हैं क्या कभी विरह के बिना प्रेम की कल्पना की जा सकती हैं l

     दुःख के बिना सुख व्यर्थ हैं  और सुख के बिना दुःख व्यर्थ हैं
     
   खुले आसमान मैं उड़ते पंछी को

     सोने के पिंजरे जो तुमने कैद किया

          और अब पूछते क्या अब सुख प्राप्त किया l
उत्तर लिखा · 25/5/2018
कर्म · 895