मनोविज्ञान भावनाएँ

पराधीन रूप में सुख नहीं, स्पष्ट कीजिए?

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पराधीन रूप में सुख नहीं, स्पष्ट कीजिए?

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पराधीनता का अर्थ है किसी और के अधीन होना, अपनी इच्छा से काम न कर पाना। जब हम किसी और के नियंत्रण में होते हैं, तो हमारी स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। इसलिए पराधीनता में सुख की कल्पना करना मुश्किल है।

पराधीनता में सुख क्यों नहीं होता, इसके कुछ कारण:
  • स्वतंत्रता का अभाव: पराधीन व्यक्ति अपनी मर्जी से कुछ नहीं कर सकता। उसे हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। स्वतंत्रता मनुष्य के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, और इसका अभाव दुख का कारण बनता है।
  • निर्णय लेने की क्षमता का अभाव: पराधीन व्यक्ति अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं नहीं ले सकता। उसके निर्णय कोई और लेता है, जिससे असंतोष और निराशा की भावना पैदा होती है।
  • आत्म-सम्मान की कमी: जब कोई व्यक्ति लगातार दूसरों पर निर्भर रहता है, तो उसका आत्म-सम्मान कम हो जाता है। उसे लगता है कि वह स्वयं कुछ भी करने में सक्षम नहीं है।
  • दबाव और तनाव: पराधीन व्यक्ति हमेशा दूसरों के दबाव में रहता है। उसे उनकी इच्छाओं के अनुसार काम करना पड़ता है, भले ही वह ऐसा न करना चाहता हो। इससे तनाव और चिंता की भावना पैदा होती है।

इसके विपरीत, स्वतंत्रता में सुख है क्योंकि व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार कार्य कर सकता है, अपने निर्णय स्वयं ले सकता है, और अपने जीवन को अपने तरीके से जी सकता है। स्वतंत्रता आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और संतुष्टि की भावना लाती है। इसलिए, पराधीनता में सुख की उम्मीद करना व्यर्थ है।

उत्तर लिखा · 20/4/2025
कर्म · 320

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