
अन्न
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आपल्याला अन्न धान्य शेतकऱ्यांमुळे मिळते. शेतकरी शेतात दिवस रात्र मेहनत करून अन्न पिकवतात आणि ते आपल्यापर्यंत पोहोचवतात.
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विटामिन-सी की कमी से स्कर्वी नामक रोग होता है जो होंठों से संबंधित रोग है। होठों के किनारे से त्वचा का फटना शुरू होता है। इसकी कमी को दूर करने के लिए खट्टे पदार्थों जैसे कि आंवला, कच्चा आम, नींबू आदि का सेवन करना चाहिए।
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क्योंकि हमारा शरीर 75 से 80 प्रतिशत तक पानी से बना है। जब हमारे शरीर में 1 प्रतिशत पानी की कमी होती है तो हमें प्यास लग जाती है, और यह कमी जब 10 प्रतिशत तक हो जाती है तो व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। पानी के बिना हमारे शरीर की पाचन क्रिया और उपापचयिक क्रिया नहीं हो पाती है और हमारे शरीर के अंगों में रक्त नहीं पहुंच पाता है और रक्त गाढ़ा होने लगता है और हमारे शरीर के अंगों की कार्य क्षमता में कमी आ जाती है और कुछ अंग काम करना बंद कर देते हैं। हमारी कोशिकाएं मरने लगती हैं। पानी के बिना हम जिंदा नहीं रह सकते इसलिए हम पानी पीते हैं, और पानी इसलिए पीते हैं क्योंकि हम उसे खा नहीं सकते।
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चावलचावल जितना पुराना हो उतना ही स्वादिष्ट होता है। चावल में प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्व होते हैं। अगर रात के खाने में रोटी कम खाई जाए और चावल का प्रयोग ज्यादा किया जाए, तो यह हल्का भोजन आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। चावल के चिवड़े को दूध में भिगोकर खाने से कब्ज दूर होती है।ऐसे खाएं: चावल के मांड में प्रोटीन, विटामिन व खनिज होते हैं जो सेहत के लिए लाभदायक होते हैं, इसलिए चावल में से मांड ना निकालें। बच्चे को छह महीने का होते ही चावल का मांड देना चाहिए। यह बढ़ते बच्चे के लिए फायदेमंद होता है।
गेहूंगेहूं औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके ज्वारे का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वजन कम होता है और एलर्जी संबंधी तकलीफ में भी लाभ होता है। गेहूं को अंकुरित करके भी खा सकते हैं। अंकुरित गेहूं आसानी से पच जाता है और कैलोरी ना होने की वजह से मोटापा भी नहीं बढ़ता।ऐसे खाएं: खांसी होने पर 20 ग्राम गेहूं में नमक मिलाकर 250 ग्राम पानी में तक तक उबालें जब तक कि पानी की मात्रा एक तिहाई न रह जाए। इसे हल्का ठंडा होने पर पीएं। लगातार एक हफ्ते तक यह प्रयोग करने से आराम मिलता है।
गेहूंगेहूं औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके ज्वारे का रस पीने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, वजन कम होता है और एलर्जी संबंधी तकलीफ में भी लाभ होता है। गेहूं को अंकुरित करके भी खा सकते हैं। अंकुरित गेहूं आसानी से पच जाता है और कैलोरी ना होने की वजह से मोटापा भी नहीं बढ़ता।ऐसे खाएं: खांसी होने पर 20 ग्राम गेहूं में नमक मिलाकर 250 ग्राम पानी में तक तक उबालें जब तक कि पानी की मात्रा एक तिहाई न रह जाए। इसे हल्का ठंडा होने पर पीएं। लगातार एक हफ्ते तक यह प्रयोग करने से आराम मिलता है।
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भोजन - हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितना जरूरी होता है उससे कहीं अधिक यह जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए जरूरी होता है। यह शरीर में शक्ति और ऊष्णता पैदा करता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान लम्बे समय से भोजन से संबंधित खोजों में लगा हुआ है। संसार के प्रत्येक देशों और वहां की भिन्न-भिन्न जातियों, उपजातियों का भोजन भी अलग-अलग प्रकार का होता है। यदि व्यवहारिक दृष्टि से देखा जाए तो भोजन पूरे संसार में केवल दो प्रकार का ही सर्वमान्य है शाकाहारी एवं मांसाहारी। हालांकि पूरे संसार में मांसाहार करने वालों की संख्या सबसे अधिक है। अमेरिका और अन्य कई शक्ति सम्पंन देशों के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के भोजन सम्बंधी सिद्धांत को एक मत से स्वीकार करते हुए कहा है कि मांसाहार मनुष्य का स्वाभाविक भोजन नहीं है। मांसाहारियों की अपेक्षा शाकाहारी मनुष्य लंबी और निरोगी आयु जीते हैं।
वर्तमान में जो भोजन प्रचलित है उसमें निम्न मुख्य तत्व विद्यमान रहते हैं-

वर्तमान में जो भोजन प्रचलित है उसमें निम्न मुख्य तत्व विद्यमान रहते हैं-
- प्रोटीन।
- कार्बोहाइड्रेट्स।
- वसा।
- काष्ठोज।
- लवण तथा खनिज।
- जल।
- विटामिन।

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विटामिन A
आंखों और हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है विटामिन लेना. हरी सब्जियां, दूध, डेरी प्रोडक्ट्स, शकरकंद, गाजर, ब्रोकोली, तरबूज, पपीता, अमरूद, आदि में विटामिन A बहुत मात्रा में पाया जाता है.
अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए निचे दिए हुए लिंक पर क्लीक कीजिये...
http://makemyservice.net/top-5-vitamin-a-rich-foods-for-healthy-life-and-eyes/
आंखों और हड्डियों के लिए बेहद जरूरी है विटामिन लेना. हरी सब्जियां, दूध, डेरी प्रोडक्ट्स, शकरकंद, गाजर, ब्रोकोली, तरबूज, पपीता, अमरूद, आदि में विटामिन A बहुत मात्रा में पाया जाता है.
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क्योंकि जब हम तांबे के बर्तनों में दही या खट्टी चीज़ें रखते हैं तो इन खाद्य पदार्थों के पोषक तत्व ताम्बे के समर्पक में आते हैं की कॉपर पोइजनिंग की वजह बन जाते हैं। ऐसा इसलिए होता हैं की क्योंकि ताम्बे में कॉपर प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं। इसमें और कोई दुसरा तत्व होता ही नहीं है, इसलिए कोई भी खाने या पीने वाली चीज़, इसके समर्पक में आती हैं तो वह उसमें अपना ही गुण पैदा कर देता हैं।
तांबे के बर्तन में पानी को छोड़कर खाने-पीने वाली अन्य कोई चीज़े नहीं रखनी चाहिए। किसी भी तरह के फल या भोजन को ताम्रपात्र में रखने से सेहत को नुकसान होने लगते हैं, विशेष करके तब, जब वह चीज़ खट्टी हो। क्योंकि खाने-पीने वाली खट्टी चीज़ों ताम्बे के बर्तन में रखने पर इनमे मौजूद न्यूट्रीएंट्स ताम्बे से रियेक्ट करके कॉपर कॉक्सिक नाम का विषैला तत्व पैदा कर कर देती हैं। ऐसे में इन चीज़ों को खाना सेहत के लिए नुकसानदायक होता हैं।
तांबे के बर्तन में पानी को छोड़कर खाने-पीने वाली अन्य कोई चीज़े नहीं रखनी चाहिए। किसी भी तरह के फल या भोजन को ताम्रपात्र में रखने से सेहत को नुकसान होने लगते हैं, विशेष करके तब, जब वह चीज़ खट्टी हो। क्योंकि खाने-पीने वाली खट्टी चीज़ों ताम्बे के बर्तन में रखने पर इनमे मौजूद न्यूट्रीएंट्स ताम्बे से रियेक्ट करके कॉपर कॉक्सिक नाम का विषैला तत्व पैदा कर कर देती हैं। ऐसे में इन चीज़ों को खाना सेहत के लिए नुकसानदायक होता हैं।